McDonald’s in Communism – मैकडॉनल्ड्स साम्यवाद में




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[tab name="en"]Its the first McDonald's in Hungary which opened for business in Budapest(on the Pest side) in 1989. Besides Hungary it also happens to be the first McDonald's in whole Eastern Europe when communism still prevailed though it was declining & the cold war was still on.

As per the guide showing us around, people used to be afraid to go into this joint when it opened since nobody wanted to be seen patronising an american restaurant. 😉 Life must've been tough for people in that kind of regime where they were terrified of even going to a restaurant.[/tab] [tab name="hi"]यह हंगरी का पहला मैकडॉनल्ड्स रेस्तरां है जो कि बुडापेस्ट(पेस्ट वाले भाग में) सन्‌ 1989 में खुला था। हंगरी का पहला मैकडॉनल्ड्स रेस्तरां होने के साथ-२ यह पूरे पूर्वी योरोप का पहला मैकडॉनल्ड्स रेस्तरां है जो उस समय खुला था जब पूर्वी योरोप साम्यवाद की जकड़ में था जिसका पतन नज़दीक था पर शीत युद्ध फिर भी चालू था।

हमारी गाइड ने बताया था कि जिस समय यह रेस्तरां खुला था स्थानीय लोग इसमें जाने से डरते थे क्योंकि कोई नहीं चाहता था कि वह एक अमेरिकन रेस्तरां को चाहने वाला लगे। 😉 लोगों का जीवन ऐसे राज में वाकई कठिन होगा कि वे एक रेस्तरां में जाने से भी घबराते थे।[/tab]




4 Comments on —» McDonald’s in Communism – मैकडॉनल्ड्स साम्यवाद में

  1. मै तो यह सोचकर दंग हूँ कि अभी तक यह बचा कैसे है? हमारे भारत मे होता तो कभी का किसी आतंक या आन्दोलन के चपेट मे आ गया होता 😀

  2. वेज बर्गर मिलता है क्या 🙂 ?

  3. @गरिमा
    भारत में अभी भी कई सारे पुराने रेस्तरां हैं जो कि इससे भी पुराने हैं और सही सलामत हैं। अब ऐसा भी नहीं है कि भारत में पूरी तरह अराजकता फैली हुई है। 🙂

    @मिश्रा जी
    नहीं, बुडापेस्ट के किसी मैकडॉनल्ड्स और बर्गर किंग में कोई शाकाहारी बर्गर नहीं मिला, सिर्फ़ चिकन, पोर्क और बीफ़ वाले बर्गर मिले। एक जगह जहाँ शाकाहारी माल मिला वह था पिज़्ज़ा हट जो कि शाकाहारी पिज़्ज़ा रखे हुए थे मेनू में और एक स्थानीय पिज़्ज़ा कंपनी(नाम ध्यान नहीं आ रहा) के पास भी थे शाकाहारी पिज़्ज़ा।

  4. चित्र – साम्यवाद में मकडोनाल्ड
    होटल जाने में डरें, भय था जहाँ अशेष
    भला न सब परदेश में, बुरा न सब निज देश
    भूखा कभी न देखता, धर्म पंथ या वाद
    जीभ नहीं चुप बैठती जब मन भाता स्वाद

 

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